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Caste System & Kayastha
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Caste System & Kayastha
kulin kayastha.
Kayastha mein zigraa nahin hota hain ,being suppressed by every castes ,bakwaas hain ….sab kuch phir toh ….
proud to be Chitransh 🥰😍🤗
Bengali surname Nandi is kayastha or not?
I am here because my gf belongs from this caste
In Gita there are four varnas there is no kayastha Varna in it.
I am an odia kayastha. It is also known as karana caste in odisa.
ब्राह्मण बाहर से आए थे वो आर्य थे और उनके बनाए देवी देवता भी काल्पनिक है।
We are Odisha karana
It's not science and knowledge its mythology
Caste system is stupid
Are Kayasthas equal to Brahmins.?
Jai Shree Rama 🙏
Well said Pramendra
Proud to be a kayastha
Kayasth from Madhya Pradesh hit like 👍
Caste system is nothing to us. We have wrote your lifespan
Proud to be a Kayastha
I think kayasth caste was a unique caste in this world these are all time looking silent & literate but background is so poor and non veg & drunken people
KAYASTHA- jo Bihar se hai comments kare mujhe…🚩
Am I kayastha ? Please tell me . 😅
I am a uttarpradeshi kayastha
proud to be kayastha
https://youtu.be/7Gkwjjhd0vU
Sir please hindi speak
Wagadre bhi kayastha hote hai 😄
Chaturvarnaym mya srashtam gudkarma vibhagsah-Shri Krishna🙏🙏🙏,isliye sirf kayastha hone se kaam nahi chalega gud aur karm bhi hone chahiye vaise hi🙏🙏🙏🙏
I'm a tamilnadu kayastha
Proud to be Kayastha 🙏😇
Stupid thing not having knowledge at all bhagvat gita written much later than caste system established
Even ram and krishna are mythological stories not history
Right sir ji 🙏🙏
विशाल प्राचीन वैदिक आर्य वैश्य समुदाय की खोज – सम्राट पर्वतक पोरस तक अति शुद्ध वर्ण क्षेत्र आर्यव्रत में वर्ण व्यवस्था हूबहू महाभारत जैसी थी ; इसमें बिगाड़ शुरू हुआ तब जब सम्राट अशोक ने महाविनाशकारी नास्तिक धर्म को अति शीघ्र वैदिक क्षत्रियों और उनके साथ दो और वर्णों पर लादकर अति शीघ्र फैला दिया और यूनान से लेकर अफगानिस्तान तक के सनातन धर्मी शुद्ध व वर्ण भ्रष्ट दोनों प्रकार के शरणार्थी आर्य व्रत में परविष्ट हो गए , दूसरा वाममार्गी आदि के व्याभिचार से रेसियल आर्य द्रविड़ जंगली भील आदि का मिक्सचर जैसे रेड्डी = वैदिक क्षत्रिय + द्रविड़ , तीसरा कारण पहले पोरस तक वैदिक, वाममार्गी, पौराणिक शैव वैष्णव, नास्तिक चार्वाक आभाणक कुछ 5-7 मुख्य संप्रदाय ही थे कुछ विद्वान अधिक से अधिक 63-64 बताते हैं फिर भिन्न भिन्न संप्रदायों की बौद्ध धर्म के बाद बाढ से भी कुछ जातियाँ बनी जैसे बिश्नोई आदि ; नास्तिक सम्राट अशोक के समय तब ब्राह्मण क्षत्रिय मजबूत स्थिति में थे तो उनमें कोई खास जातिय विभाजन नहीं हुआ लेकिन वैदिक वैश्य जिनमें आर्यव्रतीय वैश्य और गैर आर्यव्रतीय वैश्य संभवतः दो स्टाक ही रहे होंगे वे अनेक जातियों में बंट गए ; आज भारत में 2000 से ज्यादा जातियों में से ब्राह्मणों में पंचगौड् पंचद्रविड़ आदि और क्षत्रियों में अहीर जाट रोड़ गुर्जर मराठा राजपूत रेड्डी आदि कुछ थोड़ी सी जातियाँ ही हैं लेकिन वैदिक वैश्यों से 1000 से उपर जातियों का निर्माण हुआ है ; अरोड़ा खत्री, कायस्थ आदि ये आर्यव्रतीय वैश्य हैं ; अरोड़ा खत्री में करीब 70 /200 जाट गोत्र मिलते हैं बाकी अति शुद्ध वैश्य गोत्र हैं ये जाति प्राचीन लोहर लोहित क्षत्रिय खत्री नामी जाट गोत्र के नाम से बनी है अब कायस्थ इन्हें स्वयं ऋषि दयानंद ने वैश्य स्टाक से बताया है कि ये अम्बष्ठ यानी ब्राह्मण गोत्रों का वैश्य स्टाक में मिश्रण से बने हैं और यह भी ऋषि दयानंद ने बताया है कि ये आसानी से पहले जैसे शुद्ध वैदिक वैश्य बनाए जा सकते हैं और बनिए ये गुर्जर/messagetae क्षत्रियों ( गुर + जर्त = messa + getae ) की तरह जम्बूद्वीप के हिस्से मध्य एशिया, खोतान आदि से चंद्रवंशी कुषाण ऋषिक तुषार मलिक आदि शुद्ध क्षत्रियों ; हूण गुर्जर क्षत्रियों के साथ आए हुए शरणार्थी हैं , गुर्जर इतिहास सप्ष्ट रूप से खंडेलवाल ओसवाल आदि बनियों को अपने साथ आया बताता है और ऐसा ही ओसवाल इतिहास लेखक सुखसंपतराय भंडारी, चन्द्र राज भंडारी आदि, अग्रवाल इतिहास लेखक परमेश्वर लाल गुप्त आदि बताते हैं ; अग्रवाल अग्रोहा संबंध में ;- अग्रोहा, रोहतक , बीकानेर ये महाभारत काल से चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य तक चम्बल से व्यास नदी तक राज करने वाले यौद्धेय गण की राजधानी रही है महाभारत से पूर्व इस विशाल क्षेत्र पर मयूर मोर मौर्य गण का शासन रहा है और अग्रे यह एक जाट जाति का आगरा में गोत्र है जो उनके अनुसार तुषार गोत्र की शाखा है अग्रवालों का पौराणिकओं द्वारा घड़े काल्पनिक राजा अग्रसेन और अग्रोहा से निकास उत्पत्ति एकदम असत्य है ऐसा ही परमेश्वरी लाल गुप्त जी ने भी सिद्ध किया है वरना शकों – सिकरवारों,समुद्रगुप्त चन्द्रगुप्त को अति कड़ी टक्कर देने वाले महापराक्रमी यौद्धेय जोहिया कैसे अपनी मुख्य राजधानी अग्रोहा में अग्रसेन नाम के छोटे राजा को राज करने दे सकते थे ; बौद्ध मत की शाखा जैन मत खोतान आदि में बनियों का मत था जो बनियों के आर्यव्रत आने के बाद आर्यव्रत में आया ; फिर जब 711 ई० के सिंध के जाट गुर्जर आदि हिन्दूओं पर अरब आक्रमण के बाद पुरातन क्षत्रियों जाट गुर्जर से 4 वंश छांटकर राजपूत नामी पौराणिक क्षत्रिय संप्रदाय की नींव रखी गई तब जैनी बनियों को पौराणिक वैश्य की दीक्षा देकर शामिल किया गया. सुनार, खाती, छीमी, कुम्हार जितनी भी काम आधारित जातियाँ हैं चमार चूड़े आदि को छोड़कर ये भी प्राचीन वैदिक वैश्य स्टाक से अति निकट संबंध रखती हैं इन्में भिन्न भिन्न अनुपात में जाट क्षत्रिय गोत्र मिले हुए हैं जैसे सैनी जिसमें जाट गोत्र मिश्रण अति अधिक है 54 जाट गोत्र /208 सैनी जाति गोत्र, सैनियों में 12 जाट उत्पत्ति के राजपूत गोत्र मिले थे. बनिए समाज अपने को वैश्य बोलते हैं तो आर्य समाज के द्वारा पुरुषार्थ करके की गई खोज से अरोड़ा खत्री कायस्थ को भी आर्यव्रतीय स्टाक का वैश्य स्वीकार करें ताकि मिथ्या पौराणिक वर्ण व्यवस्था जिसमें 90% हिन्दू जनता को शूद्र कोटि में रखा गया है उसे नकारकर प्राचीन वैदिक कालीन वर्ण व्यवस्था को बल प्राप्त हो जिससे अपने देश का लाभ हो .
Bullshit man